काश! रेल से हो पाता चिंतपूर्णी से मां चामुंडा तक का दीदार

By: Oct 13th, 2018 12:04 am

साल में शक्तिपीठों के दर्शन को पहुंचते हैं एक करोड़ सैलानी, मंदिरों को रेल मार्ग से जोड़ने के लिए काम न कर पाया हिमाचल

 ऊना —हिमाचल में इन दिनों नवरात्र के चलते शक्तिपीठों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। देश भर से दूरदराज के क्षेत्रों से लाखों भक्त नवरात्र के दौरान राज्य के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में माथा टेकने पहुंच रहे हैं। 70 लाख की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में हर साल करीब 1.75 करोड़ सैलानी आते हैं। इसमें करीब एक करोड़ सैलानी तो मात्र प्रदेश के शक्तिपीठों के दर्शन के लिए आते हैं। प्रदेश में एयर व रेल कनेक्टिविटी नाममात्र होने के चलते सड़क मार्ग से ही आवागमन का विकल्प श्रद्धालुओं के लिए रहता है। प्रदेश के धार्मिक स्थलों को रेल मार्ग से जोड़ने का कोई गंभीर प्रयास अभी तक नहीं किया गया है। प्रदेश में केवल एक जिला ऊना ही ब्रॉडगेज रेल ट्रैक से दिल्ली से सीधा जुड़ा है। इसके अलावा कांगड़ा, सोलन व शिमला जिलों में नैरोगेज रेल लाइन है, जिसमें नाममात्र रेल सेवाएं चल रही हैं। चिंतपूर्णी, ज्वालाजी, बज्रेश्वरी देवी, चामुंडा देवी मंदिरों तथा डेरा बाबा बड़भाग सिंह को रेल मार्ग से जोड़ने के लिए कोई गंभीर प्रयास आज तक नहीं हुआ है। इसके लिए मात्र 50 से 60 किलोमीटर का रेल ट्रैक बनाए जाने की जरूरत होगी, जिस पर अनुमानित लागत करीब एक हजार करोड़ रुपए आएगी। सेंटर-स्टेट कोस्ट शेयरिंग में भी योजना ली जा सकती है। इसके लिए मंदिर ट्रस्ट,औद्योगिक घरानों व पन विद्युत परियोजनाओं की भागीदारी को भी सुनिश्चित किया जा सकता है। 29 अक्तूबर, 1956 को ऊना-तलवाड़ा रेल लाइन के सर्वेक्षण के आदेशों के बाद शुरू हुई इस रेल लाइन को तलवाड़ा के बाद आगे मुकेरियां तक पहुंचाने के लिए अभी कितना समय लगेगा, इसका अंदाजा तक लगा पाना मुश्किल है। अभी तक अंब-अंदौरा तक रेलगाड़ी पहुंच चुकी है, जबकि अंब-अंदौरा से आगे दौलतपुर चौंक सेक्शन तक करीब 15.4 किलोमीटर ब्रॉडगेज रेल ट्रैक बिछ गया है, हालांकि इसे अभी यातायात के लिए शुरू नहीं किया गया है। इस रेल सेवा को अंब-अंदौरा से ज्वालामुखी, नादौन व प्रदेश के अन्य भीतरी इलाकों में ले जाने के लिए कोई भी प्रयास नहीं हुए हैं।

अंब-ज्वालामुखी रेल लाइन

अंब-ज्वालामुमखी बाया नादौन रेल मार्ग के सर्वे की बात रेल बजट में भी उठी थी, लेकिन पानी में उठे बुलबुले की भांति ही यह घोषणा भी दबकर रह गई। आजादी के सात दशक बाद भी प्रदेश में मात्र 60 किलोमीटर ब्रॉडग्रेज रेल ट्रैक बिछ पाया है। प्रदेश की एकमात्र ब्रॉडग्रेज रेललाइन नंगल-ऊना-तलवाड़ा के मुद्दे पर कई चुनाव लड़े जा चुके हैं।

भाजपा-कांग्रेस में बहस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद ऊना-हमीरपुर रेल लाइन को स्वीकृति देकर नई बहस राजनीतिक क्षेत्र में छेड़ दी है। भाजपा इसे प्रदेश के भीतरी क्षेत्रों में रेल मार्ग स्थापित करने की दिशा में अहम कदम मान रही है, वहीं कांग्रेस इसे शगूफा करार दे रही है।


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