खुशखबरी…कालाटोप-खजियार में कस्तूरी मृग

डलहौजी—चंबा जिला के वन्य प्राणी अभ्यारण्य कालाटोप- खजिायर में लुप्त होने के कगार पर पहंुच चुके कस्तूरी मृग की मौजूदगी दर्ज की गई है। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर व स्थानीय कारोबारी सूरज भारद्वाज ने वन्य प्राणी अभ्यारण्य में कस्तूरी मृग को कैमरे में कैद किया है। सूरज भारद्वाज ने कस्तूरी मृग के फोटो को वन्य प्राणी विभाग को सौंप दिया है। ऐसे में कालाटोप- खजियार अभयारण्य में कस्तूरी मृग की मौजूदगी वन विभाग के लिए एक सुखद समाचार है। जानकारी के अनुसार एक विशेष पोटली के चलते नर कस्तूरी मृग से एक खुशबू निकलती है। कस्तूरी मृग मुख्य रूप से दक्षिणी एशिया के पहाड़ों में विशेष रूप से हिमालय के वनाच्छादित और अल्पाइन स्क्रब वास में रहते हैं। यूरोप में लगभग लुप्त हो चुकी यह प्रजाति अब सिर्फ एशिया में ही बची है।  डीएफओ वाइल्ड लाइफ निशांत मंढ़ोत्रा ने बताया कि इस वर्ष की शुरुआत में अभयारण्य से कस्तूरी मृग की उपस्थिति रिपोर्ट की गई थी। मगर ऐसी कोई तस्वीर विभाग को नहीं मिल पाई थी, जिससे इसकी उपस्थिति दर्ज हो पाती। कालाटोप-खजियार अभयारण्य से इसका पहला फोटोग्राफिक साक्ष्य मिला है। इससे पहले अक्टूबर 2018 में चंबा में कुगती वन्यजीव अभयारण्य में वन्यजीव गणना के दौरान भी फोटोग्राफिक साक्ष्य के साथ कस्तूरी मृग की रिपोर्ट की गई थी। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अनुसार यह लुप्त श्रेणी की प्रजाति है। इसको कस्तूरी और मांस के लिए मारे जाने का खतरा है। इसे वन्य जीव संरक्षण अधिनियम  1972 की अनुसूची 1 में रखा गया। इसकी कस्तूरी का इत्र के अलावा कई औषधियों में इस्तेमाल होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत लाखों में है तो वहीं इसके चलते यह कस्तूरी इन निरीह हिरणों की दुश्मन बन जाती है।