पार्वती जल विद्युत परियोजना चरण-2 सैंज के पावर हाउस की टनल से जल रिसाव, स्थानीय लोगों में अफरा-तफरी

रमेश धामी — सैंज
देश की महत्त्वाकांक्षी पार्वती जल विद्युत परियोजना चरण-2 के सैंज स्थित पावर हाउस की बॉटम टनल से शुक्रवार दोपहर भारी जल रिसाव हुआ है। एकाएक जल रिसाव होने से पावर हाउस के स्टाफ व स्थानीय लोगों में अफरा-तफरी मच गई। पावर हाउस के इंजीनियर व स्टाफ को पानी रिसाव रोकने का कोई मौका ही नहीं मिला। इस समय सभी ने यहां पर जान बचाना उचित समझा। हालांकि यहां पर जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है, सभी लोग सुरक्षित हैं। पानी का रिसाव शुक्रवार देर शाम तक भारी मात्रा में जारी रहा। हालांकि पार्वती जल विद्युत परियोजना के अधिकारी व कर्मचारी इस रिसाव की जांच में जुट चुके हैं। पावर हाउस की बॉटम टनल से आखिर इतना पानी कहां से आया, इसका पूरा पता पानी रिसाव के रुकने के बाद ही लगेगा।

आपको बताते चलें कि पार्वती जल विद्युत परियोजना चरण-2 पिछले 22 वर्षों से कई विपदाओं से जूझ रही है। यहां पावर हाउस निर्माण के दौरान कई बार पावर हाउस कटिंग में ही भारी भू-स्खलन हुआ था। वहीं उसके उपरांत 32 किलोमीटर लंबी एचआरटी टनल के निर्माण दौरान टीवीएम मशीन फंस गई थी, उसके बाद पावर हाउस में आग लग गई। इस सभी विकट समस्या से जहां कुछ दिन पूर्व एनएचपीसी ने 32 किलोमीटर लंबी हैड रेस टनल का फेस खुलने से राहत की सांस ली थी। परियोजना प्रभावित रूम सिंह, फतेह सिंह, कुर्माराम, गिरधारी लाल, लीलाधर, दिवेश शर्मा, राजेश शर्मा, प्रीति सिंह, ठाकुर, उदय राम, प्रताप सिंह का कहना है कि बार-बार की हो रही ऐसी घटनाएं कहीं न कहीं परियोजना निर्माण के दौरान बरती गई कोताही का परिणाम है। सरकार व परियोजना प्रबंधन को शीघ्र इस क्षेत्र की सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए। उधर, निर्मल सिंह, कार्यपालक निदेशक, पार्वती जल विद्युत परियोजना ने बताया कि पार्वती जल विद्युत परियोजना के साउंड पावर हाउस स्थित पावर हाउस की बॉटम टनल से निकला पानी पावर हाउस का टेक्निकल इशू है। हमारे इंजीनियर इसे शीघ्र ठीक कर देंगे। घबराने की कोई जरूरत नहीं है। (एचडीएम)

बार-बार घटनाएं, परियोजना निर्माण पर सवाल खड़े

पार्वती जल विद्युत परियोजना अभी पूर्ण रूप से तैयार नहीं हुई है। परियोजना निर्माण में लगने वाली लागत के तीन गुना लागत पर पहुंचने के बाद एनएचपीसी ने इस पावर हाउस को टेंपरेरी तौर पर चलाना शुरू कर दिया है। इसमें पंचनाला और जीबा नाला का पानी डाइवर्ट करके कुछ बिजली उत्पादन किया जा रहा है, मगर इस थोड़े से पानी के आने से ही इस क्षेत्र में कई हरकतें हो चुकी हैं। कुछ समय जब यह पावर हाउस चलाया गया, तो रैला गांव में एक बहुत लंबी दरार खेतों के बीचोंबीच देखने को मिली थी। इस दरार को देखकर यह लग रहा था कि जितनी जगह में दरार पड़ी है, वह पूरी जगह बैठ रही है। इसके बाद पावर हाउस के बाई और भारी मात्रा में जल रिसाव हुआ था, जिसके चलते राइन बाइबल के गांववासियों को उनके घर से प्रशासन ने सुरक्षित स्थान पर निकला था। अब एकाएक पावर हाउस के बॉटम टनल से भारी मात्रा में पानी का रसाव होना कहीं न कहीं परियोजना निर्माण पर सवाल खड़े कर रहा है।