भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रचा इतिहास

एजेंसियां— बंगलुरु

इसरो ने रविवार को इतिहास रच दिया और दोबारा इस्तेमाल हो सकने वाले लांच व्हीकल (आरएलवी) का लैंडिंग एक्सपेरिमेंट (एलईएक्स) लगातार तीसरी बार सफल रहा हासिल की है। पुष्पक ने तेज हवाओं के बीच एडवांस ऑटोनॉमस कैपेबिलिटी का इस्तेमाल करते हुए सटीक होरिजेंटल लैंडिंग की। कर्नाटक के चित्रदुर्ग में सुबह सात बजकर दस मिनट पर लैंडिंग एक्सपेरिमेंट के तीसरे और फाइनल टेस्ट को अंजाम दिया गया है। पहला लैंडिंग एक्सपेरिमेंट दो अप्रैल, 2023 और दूसरा 22 मार्च, 2024 को किया गया था।

एलईएक्स-01 और एलईएक्स-02 मिशन की सक्सेस के बाद एलईएक्स-03 में और ज्यादा चैलेंजिंग कंडीशन्स में ऑटोनॉमस लैंडिंग कैपेबिलिटी का प्रदर्शन किया गया। चित्रदुर्ग के एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में पुष्पक को इंडियन एयरफोर्स के चिनूक हेलिकॉप्टर से 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाया गया और रनवे पर ऑटोनॉमस लैंडिंग के लिए छोड़ा गया। एलईएक्स-2 एक्सपेरिमेंट के दौरान 150 मीटर की क्रॉस रेंज से पुष्पक रिलीज किया गया था, जिसे इस बार बढ़ाकर 500 मीटर किया गया था। इसके अलावा हवाएं भी काफी तेज थीं। पुष्पक ने क्रॉस रेंज करेक्शन मनुवर को एग्जीक्यूट करते हुए होरिजेंटल लैंडिंग को सटीकता से अंजाम दिया। जब पुष्पक को हेलिकॉप्टर से छोड़ा गया था, तब उसकी लैंडिंग वेलोसिटी 320 किलोमीटर प्रति घ्ंाटा से ज्यादा पहुंच गई थी। यह वेलोसिटी कॉमर्शियल एयरक्राफ्ट की 260 किलोमीटर प्रति घ्ंाटा और फाइटर एयरक्राफ्ट की 280 किलोमीटर प्रति घ्ंाटा की वेलोसिटी से ज्यादा है।

टचडाउन के बाद इसकी वेलोसिटी को घटाकर 100 किलोमीटर प्रति घ्ंाटा तक लाया गया। पुष्पक में लगे ब्रेक पैराशूट की मदद से वेलोसिटी को घटाया गया था। इसके बाद लैंडिंग गियर ब्रेक को लगाया गया और रनवे पर व्हीकल को रोका गया। पुष्पक ने रनवे पर खुद को स्टेबल रखने के लिए राडार और नोज व्हील स्टेयरिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया।