स्टाफ रिपोर्टर — शिमला
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों में पोषक तत्वों की कमी दूर करने के लिए न्यूट्रीशन गार्डन विकसित करने होंगे। उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से इस बारे में ग्रामीण और शहरी एरिया के सभी स्कूलों को निर्देश जारी किए गए हैं। इसमेंं पैदा होने वाली ताजी सब्जियों से बच्चों को मिड-डे मील के तहत मिलने वाले भोजन में परोसा जाएगा, ताकि इन बच्चों की सेहत सुधर सके। इससे पहले प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में न्यूट्रीशन गार्डन विकसित करने के आदेश थे, परंतु अब विद्यालयों के लिए भी इन्हें लागू कर दिया गया है। बच्चों में पोषण स्तर को बढ़ाने के लिए यह निर्णय किया गया है। इसके तहत राजकीय विद्यालयों एवं विशेष प्रशिक्षण केंद्रों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को इनमें तैयार की जाने वाली पोषण वाली सब्जियां दी जाएंगी। ताजी सब्जियों के उपयोग से पोषण तत्वों की कमी पूरी होगी। विभाग का कहना है कि विद्यार्थियों को प्रकृति और बागबानी का अनुभव मिलेगा। इसकी स्थापना से वातावरण को सहायता मिलेगी। इसमें पुदीना, धनिया, पालक, शलगम, मूली आदि उगाया जा सकता है।
पांच हजार रुपए तक किए जा सकते हैं खर्च
न्यूट्रीशन गार्डन विकसित करने के लिए अधिकतम पांच हजार रुपए प्रति विद्यालय बीज, खाद एवं आवश्यक उपकरण खरीदे जा सकते हैं। जिन विद्यालयों के पास भूमि की कमी है, वहां पर गमलों अथवा छतों पर इसे विकसित किया जाएगा। इनमें केवल जैविक खाद ही डालनी होगी। रोजाना छात्रों के योगदान एवं अन्य गतिविधियों की नियमित रूप से तस्वीरें खींचकर विभागीय ई-मेल पर भेजनी होंगी। साथ ही गार्डन से प्राप्त सब्जियों एवं फलों का मिड-डे मील में उपयोग लाया जाए, साथ ही इसका रिकार्ड संधारित करना होगा।
छात्रों-अभिभावकों का लिया जाएगा सहयोग
विद्यालयों में गार्डन विकसित करने के लिए अध्ययनरत विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों का सहयोग लिया जा सकेगा। इनमें नियमित पानी देना, सार-संभाल, खाद देना जैसी जिम्मेदारी विद्यार्थियों को दी जाएगी। इसके अलावा स्वयंसेवी संस्था, ईको क्लब, स्काउट, एनसीसी कैड्ेटस छात्र-छात्राओं, विद्यालय विकास समिति के सदस्यों के अलावा ग्रामीणों का सहयोग लिया जा सकता है।