किंग ऑफ विटामिन सी है स्पीति का छरमा

किंग आफ विटामिन-सी पर फिदा होने लगे देश-विदेश, उत्पादन बढ़ाकर दवा निर्माण को सहयोग

शालिनी भारद्वाज-काजा

प्रदेश के दुर्गम जनजातीय क्षेत्र स्पीति का सीबकथॉर्न (छरमा) कैंसर और शूगर रोकने में अपनी भूमिका और पुख्ता करेगा। स्पीति की जलवायु छरमा के लिए अतिउपयुक्त है और यहां इसका उत्पादन हो भी रहा है पर यह इतनी मात्रा में नहीं है कि देश-विदेश की दवा इंडस्टी में बड़ी भूमिका निभा पाए। भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अफसरों के दौरे और उनकी रुचि ने यहां और संभावनाओं को जन्म दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि अगर केंद्र सरकार और ज्यादा ध्यान केंद्रित कर जरूरी मदद देती है तो स्पीति का छरमा कैंसर और शूगर जैसी जानलेवा बीमारियों को खत्म करने की अपनी बड़ी भूमिका निभाएगा। इसी बीचे वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति के तहत विभिन्न स्वयं सहायता समूह छरमा के कई उत्पाद तैयार कर रहे हैं, जिसे खरीदने के लिए 2012 से 2015 बैच के भारतीय वन सेवा के अफसरों ने भी दिलचस्पी दिखाई। देश के भिन्न-भिन्न राज्यों की 31 सदस्यीय आईएफएस अफसरों की टीम एक्सपोजर विजिट पर वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची।

काजा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इस टीम ने जाइका से जुड़े नौ स्वयं सहायता समूहों से संवाद किया। इस दौरान यहां उपलब्ध छरमा चाय, जूस, बैरी, सूखे सेब समेत अन्य उत्पादों की खूब बिक्री हुई। डीसीएफ स्पीति मंदार उमेश जेवरे ने बताया कि चंद घंटों में ही 12 हजार रुपए की सेल हुई। आज देश-विदेश में छरमा के औषधीय उत्पादों की मांग बढ़ रही है। देश के भिन्न-भिन्न राज्यों से आए आईएफएस अधिकारी स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए ऐसे उत्पादों पर शोध करेंगे। वर्तमान में भी इसके उत्पादों को लोग पसंद करते हैं, परंतु यह हिमाचल में आसानी से नहीं मिल पाते। दवाओं के निर्माण में इसकी डिमांड काफी ज्यादा है। सीबकथॉर्न कंी पत्तियों में विटामिन सी समेत कई दूसरे पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में होते हैं।

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