70 साल बाद भी नहीं बदली सडक़ की सूरत

दो धार्मिक पर्यटन स्थलों को जोडऩे वाले रेणुकाजी-हरिपुरधार सडक़ मार्ग आज भी सिंगल-वे, सैलानी पेरशान
सुभाष शर्मा- नाहन
प्रदेश के पर्यटन स्थलों में अहम स्थान रखने वाला तीर्थ श्रीरेणुकाजी व शक्तिपीठ हरिपुरधार सडक़ मार्ग दशकों बाद भी सिंगल-वे खस्ताहाल है। अंतरराष्ट्रीय वैटलैंड रेणुकाजी झील जहां प्रदेश की पहली बड़ी प्राकृतिक झील है। वहीं रामसर साइट वैटलैंड में अंकित होने के चलते राष्ट्रीय मानचित्र पर है। यही कारण है कि प्रतिवर्ष देश भर से धार्मिक श्रद्धालु व पर्यटक श्रीरेणुकाजी का रूख करते हैं, मगर सडक़ मार्ग के हालत अब भी जस के तस हैं। जिला मुख्यालय को जोडऩे वाली एमडीआर सडक़ मार्ग लगभग 70 वर्ष पुरानी सडक़ है जोकि अभी भी सिंगल-वे है। यही नहीं रेणुकाजी से हिल स्टेशन हरिपुरधार को जोडऩे वाले सडक़ मार्ग का हाल इससे भी खस्ता है।

जिला मुख्यालय से हिल स्टेशन हरिपुरधार की लगभग 90 किलोमीटर दूरी तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को भी अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ती है। क्षेत्र के बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि जिला सिरमौर के टूरिज्म को उभारने के लिए प्रदेश सरकार व स्थानीय नेताओं ने कभी रुचि ही नहीं दिखाई। यही कारण है कि प्रदेश में टूरिज्म के नाम पर केवल कुल्लू, मनाली, शिमला, धर्मशाला जैसे स्थल ही विकसित हुए, जबकि जिला में पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बावजूद पर्यटक स्थलों का विकास बिलकुल नहीं हो पाया। एचडीएम

एनएच की घोषणा ठंडे बस्ते में
गौर हो कि केंद्र सरकार के राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा भी जिला की उक्त सडक़ को नेशनल हाई-वे घोषित किया गया था, मगर वह फाइल भी ठंडे बस्ते में दफन हो गई। जिसके चलते जिला के अहम दोनों स्थल नेशनल हाई-वे सडक़ मार्ग से वंचित हैं। क्षेत्रवासियों की मांग है कि रेणुकाजी-हरिपुरधार सडक़ मार्ग को डबल लेन अथवा नेशनल हाई-वे स्तर का बनाया जाए।