पिछली आपदा के जख्म नहीं भर पाई सरकार

विधायक त्रिलोक जमवाल ने सरकार की कार्यशैली पर उठाए सवाल; कहा, अब फिर बरसात का डर
दिव्य हिमाचल ब्यूरो-बिलासपुर
सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने आपदा प्रबंधन को लेकर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल आपदा से बेघर और प्रभावित हुए लोगों के जख्म अभी तक भी नहीं भर पाए हैं। प्रभावित परिवार एक साल से सरकार और प्रशासन से मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं। सरकार ने राहत के नाम पर चहेतों की जेबें भरने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन वास्तविक पीडि़तों की झोली अभी भी खाली है। आलम यह है कि कई सडक़ों पर गिरा मलबा भी अभी तक पूरी तरह से नहीं उठाया गया हैए जबकि चहेते ठेकेदारों को भुगतान किया जा चुका है। इस साल बरसात का मौसम दस्तक दे चुका है। प्रदेेश के कई जिलों में पहली ही बारिश से आपदा प्रबंधन की पोल खुल गई हैए लेकिन मुख्यमंत्री और उनके साथियों का पूरा फोकस केवल चुनाव प्रचार पर है। त्रिलोक जमवाल ने कहा कि पिछले साल पूरे प्रदेश के साथ ही बिलासपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में भी आपदा ने बड़े पैमाने पर कहर बरपाया था। इस विधानसभा क्षेत्र में 9 पक्के और 23 कच्चे मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे, जबकि दो पक्के और 139 कच्चे मकान क्षतिग्रस्त हुए थे। इसके अलावा 51 रसोईघर, 313 गौशालाएं और कई शौचालय भी ढह गए थे।

सरकार ने घोषणा की थी कि जिन लोगों के मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें सात-सात लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। यह पैसा उन चहेतों को बांटा गया, जिनके मकान आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त हुए थे। बेघर हो चुके कई परिवार आज भी सरकार की उस घोषणा के अनुरूप मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। प्रशासन के पास आए दिन लोग शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं कि पिछले साल आपदा में पूरी तरह से बेघर हो जाने के बावजूद उन्हें मुआवजे के नाम पर महज डेढ़-दो हजार रुपये मिले हैं। इससे सरकार के दावों और हकीकत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। त्रिलोक जमवाल ने कहा कि पिछले साल आपदा में बंद हुई सडक़ों को 72 घंटों के भीतर बहाल करने का दावा किया गया थाए लेकिन सदर विधानसभा क्षेत्र में कई सडक़ों की बहाली के लिए लोगों को कई माह तक इंतजार करना पड़ा। जबकि उसके एवज में मित्रों की इस सरकार की ओर से चहेते ठेकेदारों को भुगतान भी हो चुका है। बरसात का मौसम फिर से आ गया है, लेकिन ष्सुखष् की इस सरकार ने पिछले साल हुई तबाही से सबक लेने की जहमत नहीं उठाई है।