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हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा बोर्ड की ओर से 26 मई को लेटरल एंट्रेंस टेस्ट (लीट) का आयोजन किया जा रहा है। प्रदेश के 2532 परीक्षार्थी लीट की परीक्षा में भाग लेंगे। इसके अलावा बोर्ड की ओर से 165 अभ्यार्थियों की ओर से समय पर फीस जमा न करवाने के कारण उनके आवेदन पत्र रद्द ...

जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी वाकनाघाट सोलन से एमएससी बायोटेक्नोलॉजी की पूर्व छात्रा जसमीत कौर को जेयूआईटी के विदेशी छात्र विनिमय कार्यक्रम के माध्यम से चुना गया। वह अब रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और स्वास्थ्य विज्ञान विभाग, एसडी माइंस, एसडी, यूएसए में स्नातक अनुसंधान सहायक के रूप में काम कर रही हैं। उन्हें हाल ही में यूएसए में प्रतिष्ठित लॉरेंस जे मजलैक फेलोशिप से सम्मानित किया गया। वह एसडी माइंस, यूएसए के प्रोफेसर राजेश सानी के साथ काम कर रही हैं। प्रोफेसर सानी ने कहा कि लॉरेंस फेलोशिप, जिसका मूल्य $3,000 है, प्रत्येक पीएचडी कार्यक्रम के भीतर एक योग्य प्राप्तकर्ता को दिया जाने वाला प्रतिष्ठित पुरस्कार है।

कंपीटिशन के दौर में आज का युवा बेहतर भविष्य की कल्पना कर रहा है। कोई अफसर बनना चाहता है, तो कोई इंजीनियर। कोई शिक्षक बनना चाहता है, तो कोई सरकारी नौकर। कामयाबी किसी भी क्षेत्र में हो, मौजूूदा दौर में युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं से गुजरना ही होगा...

शिमला नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से यूजीसी नेट जून 2024 के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 19 मई निर्धारित की गई है। ऐसे में जो भी अभ्यर्थी अभी तक आवेदन नहीं कर सके हैं, उनके पास यह अंतिम मौका है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सहित अन्य यूनिवर्सिटी के लिए सिंगल एजेंसी ही...

कंपीटिशन के दौर में आज का युवा बेहतर भविष्य की कल्पना कर रहा है। कोई अफसर बनना चाहता है, तो कोई इंजीनियर। कोई शिक्षक बनना चाहता है, तो कोई सरकारी नौकर। कामयाबी किसी भी क्षेत्र में हो, मौजूूदा दौर में युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं से गुजरना ही होगा। पीरक्षाओं का लेवल उच्च...

मोहिनी एकादशी का व्रत वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। पुराणों के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी मोहिनी है। इस व्रत को करने से निंदित कर्मों के पाप से छुटकारा मिल जाता है तथा मोह बंधन एवं पाप समूह नष्ट होते हैं। सीता की खोज करते समय भगवान श्रीराम ने भी इस व्रत को किया था। उनके बाद मुनि कौंडिन्य के कहने पर धृष्टबुद्धि ने और श्रीकृष्ण

गुरु अमर दास जी सिक्ख पंथ के एक महान प्रचारक थे जिन्होंने गुरु नानक जी महाराज के जीवन दर्शन को व उनके द्वारा स्थापित धार्मिक विचाराधारा को आगे बढ़ाया। तृतीय नानक गुरु अमर दास जी का जन्म 5 अप्रैल 1479 को अमृतसर के बसरका गांव में हुआ था। उनके पिता तेज भान भल्ला जी एवं

नृसिंह जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस जयंती का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है। भगवान श्रीनृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता हैं। पौराणिक धार्मिक मान्यताओं एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि को भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। भगवान विष्णु ने अधर्म के नाश के लिए कई अ

जिससे स्वामी जी का चरित्र भ्रष्ट हो जाए और वह उनके खिलाफ प्रचार करें। जब उनको इसमें कामयाबी हासिल न हो सकी तो फिर स्वामी जी में डर बिठाकर प्रचार कार्य को रोकने की कोशश करने लगे। वे विचारे ये नहीं जानते थे कि अभय तो भारतीय अध्यात्म साधाना की पहली शर्त है। स्वामी जी अपनी प्रशंसा को सुनकर न तो घमंड में डूबे थे और न ही अपनी निंदा को सुनकर विचलित हुए थे। वे पूरे जी जान से अपने प्रचार कार्य में लगे रहे। स्वामी जी के मित्र व स्नेही कदम-कदम पर उन्हें सावधान करते रहते