आस्था

गुरु अमर दास जी सिक्ख पंथ के एक महान प्रचारक थे जिन्होंने गुरु नानक जी महाराज के जीवन दर्शन को व उनके द्वारा स्थापित धार्मिक विचाराधारा को आगे बढ़ाया। तृतीय नानक गुरु अमर दास जी का जन्म 5 अप्रैल 1479 को अमृतसर के बसरका गांव में हुआ था। उनके पिता तेज भान भल्ला जी एवं

नृसिंह जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस जयंती का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है। भगवान श्रीनृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता हैं। पौराणिक धार्मिक मान्यताओं एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि को भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। भगवान विष्णु ने अधर्म के नाश के लिए कई अ

जिससे स्वामी जी का चरित्र भ्रष्ट हो जाए और वह उनके खिलाफ प्रचार करें। जब उनको इसमें कामयाबी हासिल न हो सकी तो फिर स्वामी जी में डर बिठाकर प्रचार कार्य को रोकने की कोशश करने लगे। वे विचारे ये नहीं जानते थे कि अभय तो भारतीय अध्यात्म साधाना की पहली शर्त है। स्वामी जी अपनी प्रशंसा को सुनकर न तो घमंड में डूबे थे और न ही अपनी निंदा को सुनकर विचलित हुए थे। वे पूरे जी जान से अपने प्रचार कार्य में लगे रहे। स्वामी जी के मित्र व स्नेही कदम-कदम पर उन्हें सावधान करते रहते

हम अपना अधिकांश जीवन चेतना की तीन अवस्थाओं में जीते हैं, जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति। चेतना की जाग्रत अवस्था में हम पांच इंद्रियों के माध्यम से संसार का अनुभव करते हैं। हम इन इंद्रियों से उन्नति और आनंद चाहते हैं। यदि किसी भी एक इंद्रिय की कमी है, तो उस इंद्रिय का संपूर्ण आयाम खो जाता है। जो सुन नहीं सकता वह ध्वनि के पूरे क्षेत्र से वंचित है। इसी प्रकार, जो देख नहीं सकता वह सभी सुंदर दृश्यों और रंगों से वंचित है। अत: इंद्रिय के विषय से इंद्रिय अधिक महत्त्वपूर्ण और बहुत बड़ी है। मन इंद्रि

सद्गुरु से जितने दूर जाते हैं उतना नृत्य लुप्त होता चला जाता है। उनता ही जीवन में उदासी, हताशा और विषाद छा जाता है। जब तुम बहुत दुख में होते हो तो समझना परमात्मा से बहुत दूर हो गए हो। सद्गुरु का ज्ञान दूर हो गया। समझो विकारों को अपने पास आने का निमंत्रण दे दिया है। ब्रह्मज्ञान से विकार दूर होते हैं। हंसना पुण्य है, हंसाना परम पुण्य है। आप जब हंसते हैं तो ईश्वर का आशीर्वाद बरसता है।

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्त्व है। पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, जरूरतमंदों को दान करने और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्त्व है। इनमें से कुछ पूर्णिमा को विशेष माना गया है।

हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। हेमकुंड एक बर्फ की झील है, जो सात विशाल पर्वतों से घिरी हुई है, जिन्हें हेमकुंड पर्वत भी कहते हैं।

दस महाविद्याओं में से छठी महाविद्या श्री छिन्नमस्तिका जी है। मां छिन्नमस्तिका की जयंती 21 मई को मनाई जाएगी। यह जयंती भारतवर्ष में धूमधाम से मनाई जाती है। माता के सभी भक्त इस दिन मां की...

वर्षों की प्रचंड तपसाधना के पश्चात आखिरकार गौतम को बोध प्राप्त हुआ और वो गौतम से गौतम बुद्ध बन गए, महात्मा बुद्ध बन गए। उनके प्रचंड तप का तेज देखते ही बनता था। उनके इस अपूर्व तेज के संपर्क में जो भी आए, वे उनके समक्ष नतमस्तक होते गए। उनके ज्ञान से कोटिश: लोगों को नवजीवन मिला और असंख्य लोगों के जीवन में नई ऊर्जा का संचार हुआ, नई दृष्टि का सृजन हुआ। वे जगह-जगह जाते और अपने अमृत ज्ञान से लोगों को आह्लादित और आनंदित करते। देखते ही देखते उनका यश, उन