यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलना हुआ आसान, हाइड्रोथर्मल सिंथेसिस से बनाया उपकरण

By: Jun 13th, 2023 10:44 pm

मोहिनी सूद-सोलन

सोलन में शोधकर्ताओं द्वारा हाइड्रोथर्मल सिंथेसिस नामक एक विधि का उपयोग करके एक विशेष सामग्री बनाई है। इसमें विभिन्न प्रकार के उपकरणों को चलाने के लिए यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने की अद्भुत क्षमता है। उन्होंने नैनोपार्टिकल्स कहे जाने वाले बेरियम टाइटेनेट के छोटे कणों पर ध्यान केंद्रित किया और उनके छोटे आकार के चलते उनके अद्वितीय गुणों का अध्ययन किया। हाइड्रोथर्मल सिंथेसिस विधि का इस्तेमाल करते हुए, उन्होंने नैनोकणों का सफलतापूर्वक निर्माण किया जिसका इस्तेमाल ऊर्जा हासिल करने के लिए किया जा सकता है। एनर्जी हार्वेस्टर ऐसे उपकरण हैं जो यांत्रिक कंपन या गति को कैप्चर कर सकते हैं और बिजली में परिवर्तित कर, हम उपयोग कर सकते हैं। अनुसंधान विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। यह आविष्कार रोमांचक है क्योंकि यह पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के लिए एक विकल्प प्रदान करता है और भविष्य में स्व-संचालित प्रणालियों को जन्म दे सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि सामग्री में थोड़ी मात्रा में कैल्शियम मिलाने से यह और भी बेहतर हो गया। कैल्शियम एक गुप्त घटक के रूप में कार्य करता है जो सामग्री के विद्युत गुणों में सुधार करता है और ऊर्जा को परिवर्तित करने में इसे और अधिक कुशल बनाता है।

यह पेटेंट ऊर्जा संचयन और पीजोइलेक्ट्रिक सामग्री के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। यह दिखाता है कि कैसे वैज्ञानिक नए विचारों की खोज करने और भविष्य में हमारे सामने आने वाली चुनौतियों के लिए उन्नत समाधान तैयार करने के लिए समर्पित हैं। शूलिनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने न केवल इस क्षेत्र में योगदान दिया है बल्कि दूसरों को भी बड़े सपने देखने और अपने असाधारण विचारों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। शूलिनी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फिजिक्स एंड मैटेरियल साइंसेज की असिसटेंट प्रोफेसर डा. ममता शाडिल्य ने कहा कि ‘इस जांच के परिणामों में स्मार्टफोन, टैबलेट और कम्प्यूटर समेत अधिक कुशल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की उन्नति को बढ़ावा देने की क्षमता है। ये उपकरण विभिन्न तापमान स्थितियों और फ्रीक्वेंसी रेंज में बेहतर प्रदर्शन और विश्वसनीयता प्रदर्शित करेंगे, जिससे रोज़मर्रा के उपयोगकर्ताओं को लाभ होगा। शोधकर्ताओं की टीम में राधेश्याम राय, डा. स्टीवन जे. मिलने और राजेश शर्मा शामिल थे। एचडीएम


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