पाठकों के पत्र

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1993 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष 3 मई को मनाए जाने की घोषणा की थी। हमारे देश का सबसे पहला समाचारपत्र का प्रकाशन 30 मई 1826 को हुआ था। यह पहला हिंदी समाचार पत्र था। इसका नाम उदन्त मार्तण्ड है और अब हमारे देश में विभिन्न भाषाओं के बहुत से समाचार प

वैश्विक महामारी कोरोना ने जब सारी दुनिया को दहशत में डाल दिया था, अमरीका, जर्मनी और अन्य बड़े बड़े देश भी इस महामारी से दहशत में आ गए थे और सारी दुनिया ने इससे बचने के लिए लॉकडाऊन लगा दिया था। उस दहशत भरे माहौल में दुनिया यह कह रही थी कि जल्दी से जल्दी इससे निपटने के लिए कोई दवा तैयार होनी चाहिए, इसके लिए लगभग सभी देशों ने प्रयास भी किए, बहुत से एक्सपेरि

एक मई को हर साल मजदूर दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर कई प्रोग्राम होते हैं, लेकिन मजदूरों की वास्तविक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। कारण यह है कि उन्हें मेहनत के अनुसार पगार नहीं मिलती है। इसलिए मजदूरों को उनके बुढ़ापे में सरकार की ओर से प्रति माह 15000 हजार रुपए की पेंशन दी जानी चाहिए।

हार और जीत जिंदगी में चलती रहती है। लेकिन अगर हम मेहनत, लगन और मजबूत इरादों पर विश्वास रखें तो सफलता हमें जरूर हासिल होती है। हमारे शास्त्र और इतिहास भी हमें यह संदेश देते हैं कि बड़े-बड़े राजाओं ने भी हार के बाद मेहनत और बुलंद हौसले से जीत हासिल की है। हाल ही में केंद्रीय

हमारे देश की मसालों की दो मुख्य कंपनियों की इनके उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर जो हांगकांग और सिंगापुर ने सवाल खड़े किए हैं, वो गले नहीं उतर रहे, क्योंकि ये दोनों कंपनियां अपने उत्पादों की उचित जांच खुद करके और संबंधित सरकारी विभाग से भी जांच करवाने के

हमारे देश में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हो चुकी हैं। भ्रष्टाचार इस कद्र फैला है जो कानून के जरिए अब समाप्त होना भी मुश्किल ही लगता है। भ्रष्टाचार भावी पीढ़ी के कैरियर को भी ग्रहण लगा रहा है और मेहनतकश युवाओं के कैरियर के सपनों को भी चकनाचूर कर रहा है। हाल ही में कोलकाता में शिक्षा के क्षेत्र में घोटाले की खबर सुर्खियों में है। हालांकि इस भर्ती की नियुक्तियों को हाईकोर्ट ने रद्द कर दि

हमारे देश और समाज में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक बुराइयों ने जो पैर पसारे हैं, उसकी वजह लोगों में बढ़ती भौतिकतावादी और आधुनिकता की तृष्णाएं और बेवजह की इच्छाएं भी हैं। झूठी शान के लिए कुछ लोग अनैतिक कार्यों में संलिप्त हो रहे हैं। इनसानियत से गिर रहे हैं। देश की राजनीति में जो दोष आए हैं, उसकी वजह भी यह है कि कुछ लोग राजनी

पतंजलि के कुछेक उत्पादों का मामला सुर्खियों में है। वैसे भ्रामक विज्ञापन किन्हीं एक या दो कंपनियों के ही नहीं होते, लगभग हर कंपनी अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए ऐसा करती है। पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों की सुनवाई के साथ-साथ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से उच्चतम न्यायालय ने जो भी सवाल पूछे, उनके संबंधित संस्थाओं को साफ-साफ उत्तर देने चाहिए और सबकी निष्पक्ष और उचित जांच भी होनी चाहिए।

23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस बहुत से देशों में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 23 अप्रैल 1995 को यूनेस्को में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य विश्वभर के मुख्य लेखकों को सम्मान देना और जो लेखक दुनिया को अलविदा कह गए हैं, उन्हें श्रद्धांजलि देना भी है। इस दिवस को मनाने का एक उद्देश्य लोगों की पुस्तकों के प्रति रुचि बढ़ाना और साक्षरता दर बढ़ाना भी है। इस दिवस के