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गर्मी में इस तरह के खाने से बढ़ता है पित्त दोष, जानिए इसे संतुलित करने के उपाय…

By: Jun 25th, 2024 7:17 pm

आयुर्वेद में वात, कफ और पित्त दोषों को शांत कर रोगों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार जब व्यक्ति के शरीर में वात, कफ या पित्त कुपित हो जाता है, तो उसको पाचन संबंधी या अन्य समस्याएं होने लगती हंै। अग्नि और जल के गुणों से युक्त पित्त दोष शरीर में पाचन, मैटाबॉलिज्म और एनर्जी को नियंत्रित करने का कार्य करता है…

जैसे-जैसे गर्मी का मौसम आता है, आयुर्वेदिक परंपरा के अनुसार गर्मी पित्त दोष को बढ़ा सकती है, जिससे असंतुलन पैदा होता है जो चिड़चिड़ापन, पाचन संबंधी समस्याओं और त्वचा संबंधी समस्याओं के रूप में प्रकट होता है। पित्त, तीन दोषों में से एक है, जो अग्नि और जल तत्त्वों से जुड़ा है, जो शरीर में चयापचय, पाचन और परिवर्तन को नियंत्रित करता है। जब पित्त असंतुलित हो जाता है, खासकर गर्मियों के महीनों के दौरान, तो आयुर्वेदिक प्रथाओं को अपनाना आवश्यक है जो इस उग्र ऊर्जा को ठंडा और शांत करती हैं। भारत में कई हजार वर्षों से आयुर्वेद के द्वारा कई रोगों का इलाज किया जा रहा है। आयुर्वेद में तीन तरह के दोषों को अधिकतर रोगों का मुख्य कारण माना जाता है। आयुर्वेद में वात, कफ और पित्त दोषों को शांत कर रोगों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार जब व्यक्ति के शरीर में वात, कफ या पित्त कुपित हो जाता है, तो उसको पाचन संबंधी या अन्य समस्याएं होने लगती है। अग्नि और जल के गुणों से युक्त पित्त दोष शरीर में पाचन, मैटाबॉलिज्म और एनर्जी को नियंत्रित करने का कार्य करता है। पित्त दोष के अंसुतलन से व्यक्ति में सूजन, अपच, चिड़चिड़ापन और स्किन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि डाइट और लाइफस्टाइल में आवश्यक बदलाव से आप पित्त दोष को शांत कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि पित्त दोष को शांत करने के लिए आप क्या उपाय अपना सकते हैं। पित्त दोष को संतुलित कर आप बुद्धि और पाचन अग्नि को बेहतर कर सकते हैं। पित्त बनने से आपको हाइपरएसिडिटी, सूजन व पाचन संबंधी गड़बड़ी हो सकती है। ऐसे में पित्त दोष को शांत करने के लिए डाइट में क्या-क्या बदलाव करना चाहिए जानिए विस्तार से।

ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन करें

पित्त की स्वाभाविक प्रकृति गर्म होती है, ऐसे में आप अपनी डाइट में ठंडे खाद्य पदार्थों को शामिल कर सकते हैं। इससे शरीर की गर्मी को शांत करने में मदद मिलती है। पित्त को शांत करने के लिए आप खरबूजे, जामुन और अनार को शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा पत्तेदार सब्जियां जैसे सलाद, पालक, धनिया, पुदीना और सीताफल का सेवन कर सकते हैं।

कम मात्रा में मसाले और खट्टी चीजों का सेवन

अधिक मसालेदार और खट्टे खाद्य पदार्थ अपनी गर्मी और अम्लीय प्रकृति के कारण पित्त दोष को बढ़ा सकते हैं। जबकि हल्के मसाले आपके पाचन क्रिया को बूस्ट कर सकते हैं। ऐसे में आप बेहद कम मात्रा में हरी मिर्च, लहसुन और प्याज का सेवन कर सकते हैं। खाने में लाल मिर्च और गर्म मसालोंका सेवन  न करें। इसी तरह टमाटर, सिरके या खट्टी चीजों का सेवन कम मात्रा में करें।

जौ, क्विनोआ व जई का सेवन करें

पित दोष को शांत करने के लिए आप पौष्टिक अनाज को डाइट में शामिल कर सकते हैं। पाचन अग्नि को प्रभावित किए बिना आप पोषण प्रदान करने के लिए बासमती चावल, जौ, क्विनोआ और जई जैसे साबुत अनाज को अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं।


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