जमीन के नीचे से गुजरेगा 85 किलोमीटर फोरलेन

By: Jul 1st, 2024 12:08 am

एनएचएआई के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार-पर्यावरण मंत्रालय ने दी सुरंग निर्माण को मंजूरी

राकेश शर्मा — शिमला

हिमाचल में करीब 85 किलोमीटर फोरलेन जमीन के नीचे बनेगा। इसके लिए एनएचएआई ने केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी हासिल कर ली है। एनएचएआई 68 सुरंगों का निर्माण करने जा रहा है और इसमें से 50 फीसदी से ज्यादा की डीपीआर भी तैयार कर ली गई है। एनएचएआई ने अभी तक 11 सुरंगों का निर्माण पूरा कर लिया है, जबकि 27 का काम प्रदेश भर में चल रहा है और 30 सुरंगों की डीपीआर तैयार की जा रही है। एनएचएआई ने ज्यादातर सुरंगों के प्रस्ताव पिछले साल आई आपदा के बाद ही तैयार किए हैं। दरअसल, आपदा के दौरान कीरतपुर-मनाली नेशनल हाईवे पर कुल्लू और मंडी में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। इसके अलावा पठानकोट-मंडी और पिंजौर-नालागढ़ मार्ग भी आपदा से प्रभावित हुए थे।

आपदा के बाद एनएचएआई ने प्रभावित नेशनल हाईवे का मुआयना आईआईटी और एनएचएआई से रिटायर हो चुके इंजीनियरों से करवाया था और उसी दौरान सुरंग बनाने के सुझाव सबसे ज्यादा मिले थे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सुंरग निर्माण पर एनएचएआई को विचार करने के निर्देश दिए थे। अब इन सभी के जवाब में एनएचएआई ने फोरलेन के ज्यादातर हिस्से को सुरंगों के माध्यम से गुजारने की तैयारी कर ली है। इन सुरंगों के निर्माण से प्रदेश के सभी फोरलेन में कुल 126 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी, जबकि यात्रियों के 13 घंटे का सफर कम होगा। साथ ही नेशनल हाईवे बारिश और बर्फबारी से भी प्रभावित नहीं होंगे।

नेशनल हाईवे पर यहां बनेंगी सुरंगें

हिमाचल में पठानकोट-मंडी, कालका-शिमला, शिमला-मटौर, कीरतपुर-मनाली और पिंजौर-नालागढ़ नेशनल हाइवे का निर्माण किया जा रहा है। इनमें 68 सुरंगें बन रही हैं। कीरतपुर-मनाली में 41.31 किलोमीटर लंबी 28 सुरंगें प्रस्तावित हैं। इनमें से 13 का निर्माण हो चुका है। कालका-शिमला फोरलेन में कैंथलीघाट से परवाणू के बीच एक सुरंग का निर्माण हो चुका है, जबकि कंडाघाट में करीब एक किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण अभी तक चल रहा है। इसी फोरलेन में कैंथलीघाट से ढली के बीच आधा दर्जन सुरंगों का निर्माण प्रस्तावित है।

पठानकोट-मंडी नेशनल हाई-वे पर कोटला में डबल लेन सुरंग का निर्माण किया गया है। सुरंगों की कुल लंबाई 85.110 किलोमीटर है। इन सुरंगों के निर्माण से 12.50 घंटे समय की बचत होगी और 126 किलोमीटर की दूरी पूरे प्रदेश में कम हो जाएगी।


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