BNS BNSS BSA: अब नहीं मिलेगी तारीख पे तारीख
दिव्य हिमाचल डिजिटल डेस्क
देश में पहली जुलाई से नया कानून लागू हो गया है। अब कानून तो लागू हो गया है, लेकिन आम जनता अभी भी इससे अनजान है। मसलन, यदि यह हो जाता है, तो क्या होगा। पुलिस कैसे काम करेगी, कौन सी धारा लगेगी। जनता के लिए नए कानून में क्या प्रावधान हैं। कब तक न्याय मिलने की डेडलाइन है। अगर पुलिस काम नहीं करती है, तो नए कानून के तहत जनता को क्या-क्या अधिकार मिले हैं। तीनों कानूनों भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)को विस्तार से जानने और समझने के लिए पढ़ें यह लेख…
https://www.divyahimachal.com/2024/07/bns-bnss-bsa-section-144-will-no-longer-be-imposed/
समय पर न्याय
- -समय-सीमा निर्धारित: हमारा प्रयास रहेगा कि 3 साल में न्याय मिल जाए। इससे तारीख पे तारीख से मुक्ति मिलेगी।
- -35 सेक्शन में टाइमलाइन जोड़ी गई।
- -इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत देने पर 3 दिन में एफआईआर दर्ज
- -यौन उत्पीडऩ में जांच रिपोर्ट 7 दिन के भीतर भेजनी होगी।
- -पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय होंगे।
- -घोषित अपराधियों के खिलाफ अनुपस्थिति की स्थिति में 90 दिनों के भीतर मुकदमा
- -आपराधिक मामलों में मुकदमे की समाप्ति के 45 दिन के अंदर निर्णय देना होगा
नए आपराधिक कानून दंड नहीं, न्याय केंद्रित हैं
- -सामुदायिक सजा: छोटे अपराधों में
- -भारतीय न्याय दर्शन के अनुरूप
- -5000 रुपए से कम मूल्य की चोरी पर कम्युनिटी सर्विसेज का प्रावधान
- -6 अपराधों में कम्युनिटी सर्विसेज समाहित
महिलाओं और बच्चों के अपराध
- -प्राथमिकता: महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध (पहले खजाने की लूट थी)
- -बीएनएस में महिलाओं व बच्चों के प्रति अपराध पर नया अध्याय
- -महिलाओं व बच्चों के अपराध से संबंधित 35 धाराएं हैं, जिनमें लगभग 13 नए प्रावधान हैं और बाकी में कुछ संशोधन
- -गैंगरेप में 20 साल की सजा/आजीवन कारावास
- -नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार पर मौत की सजा/आजीवन कारावास
- -झूठा वादा/पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध है
- -पीडि़ता का बयान उसके आवास पर महिला अधिकारी के सामने ही रिकार्ड होगा
- -पीडि़ता के अभिभावक की उपस्थित में बयान दर्ज होगा
तकनीक का उपयोग
- -विश्व की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली बनानी है
- -50 साल तक आने वाली सभी आधुनिक तकनीक इसमें समाहित हो सकेंगी
- -कम्प्यूटराइजेशन: पुलिस इन्वेस्टीगेशन से लेकर कोर्ट तक की प्रक्रिया
- -जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर, चार्जशीट… डिजिटल होगी
- -90 दिन में मिलेगी पीडि़त को जानकारी
- -फोरेंसिक अनिवार्य: 7 साल या अधिक की सजा वाले मामलों में
- -साक्ष्यों की रिकार्डिंग: जाँच-पड़ताल में साक्ष्यों की रिकार्डिंग होगी
- -वीडियोग्राफी अनिवार्य: पुलिस सर्च की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी
- -ई-बयान: बलात्कार पीडि़ता के लिए ई-बयान
- – कोर्ट में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की जाएगी।
- -ई-पेशी गवाहों, आरोपियों, विशेषज्ञों और पीडि़तों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पेशी।
फॉरेंसिक को बढ़ावा
- -फोरेंसिक अनिवार्य: 7 वर्ष या अधिक की सजा वाले सभी अपराध
- -इन्वेस्टीगेशन में साइंटिफिक पद्धति को बढ़ावा
- -कन्विक्शन रेट को 90 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य
- -सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में फोरेंसिक अनिवार्य
- -राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर 5 वर्ष में तैयार होगा
- -मैनपावर के लिए राज्यों में एफएसयू शुरू करना
- -फॉरेंसिक के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए जगह-जगह लैब बनाना
मॉब लिंचिंग
- -पहली बार मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया
- -नस्ल/जाति/समुदाय लिंग, जन्म स्थान, भाषा आदि से प्रेरित हत्या/गंभीर चोट मॉब लिचिंग
- -7 वर्ष की कैद का प्रावधान
- -स्थायी विकलांगता-10 वर्ष की सजा/आजीवन कारावास
विक्टिम सेंट्रिक कानून
- -विक्टिम-सेंट्रिक कानूनों के 3 प्रमुख फीचर्स
1. विक्टिम को अपनी बात रखने का मौका
2. इनफार्मेशन का अधिकार
3. नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति का अधिकार - -जीरो एफआईआर दर्ज करना संस्थागत
- -अब एफआईआर कहीं भी दर्ज कर सकते हैं
- -विक्टिम को एफआईआर की एक प्रति नि:शुल्क प्राप्त करने का अधिकार
- -90 दिन के भीतर जांच में प्रगति की जानकारी
राजद्रोह को हटाना और देशद्रोह की व्याख्या
- -गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करना
- -अंग्रेजों का राजद्रोह कानून राज्यों (देश) के लिए नहीं, बल्कि शासन के लिए था
- -राजद्रोह जड़ से समाप्त
- -देश विरोधी हरकतों के लिए कठोर सजा
- -भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ कार्य पर 7 साल तक या आजीवन कारावास
पुलिस की जवाबदेही में इजाफा
- -सर्च और जब्ती में वीडियोग्राफी अनिवार्य
- -गिरफ्तार व्यक्तियों की सूचना देना अनिवार्य
- -3 वर्ष से कम कारावास/60 वर्ष से अधिक उम्र में पुलिस अधिकारी की पूर्व अनुमति अनिवार्य
- -गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटों के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा
- -20 से अधिक ऐसी धाराएँ हैं जिनसे पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित होगी
- -पहली बार प्रिलिमरी इनक्वायरी का प्रावधान
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