जोनल अस्पताल मंडी में पर्ची बनवाने के लिए मरीजों की लंबी कतारें

By: Jul 2nd, 2024 12:18 am

 मरीजों-तीमारदारों को भारी दिक्कत, अतिरिक्त पर्ची काउंटर-ऑनलाइन पर्ची सिस्टम की मांग बुलंद

दीक्षा ठाकुर- मंडी
क्षेत्रीय अस्पताल मंडी में लोगों को लंबी कतारों में लगकर पर्ची बनवानी पड़ रही है। पर्ची बनाने के लिए सुबह से दोपहर तक मरीज कतारों में लग रहे हैं । लोगों ने अस्पताल प्रबंधन से अतिरिक्त पर्ची काउंटरों की व्यवस्था करने की मांग की है। लोगों का कहना है कि ज्यादा भीड़ होने के कारण दोपहर तक उनकी पर्चीयां नहीं बन पा रही है। जिस कारण समय पर उनका इलाज भी नहीं हो पा रहा है। वहीं कुछ लोगों ने यह भी आरोप लगाए हैं कि अस्पताल के स्टाफ द्वारा अपने परिचितों की पर्चीयां पहले बनाई जा रही है, जिसमें आम आदमी पिसता जा रहा है। वहीं कुछ लोगों ने अस्पताल में पर्ची काउंटर में ऑनलाइन व्यवस्था शुरू करने की बात कही है। सोमवार को भी मरीज कतारों में लगे दिखे।

जिस कारण घंटो लोगों को खड़े खड़े अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। बता दें कि अस्पताल में दो ही पर्ची कांउटर हैं। इन्ही दो पर्ची कांउटरों में महिलाओं, पुरूषों और बुजुर्गों की भी पर्ची बनती है। बुजुर्गों को भी अन्य मरीजों की तरह लंबी कतारों में लग कर पर्ची बनवानी पड़ रही है। दो ही कांउटर होने से समस्या पेश आ रही है। वहीं अब पर्ची बनाने के लिए मरीजों की जानकारी भी पर्ची पर लिखनी होती है, जिससे दो मिनट का समय एक पर्ची बनाने के लिए लग रहा है। जगदीश का कहना है कि अस्पताल में ऑनलाइन पर्ची सिस्टम शुरू किया जाना चाहिए। ओम प्रकाश ने कहा कि अस्पताल में अतिरिक्त पर्ची कांउटर की व्यवस्था की जाए। समस्या का हल हो जाएगा। एचडीएम

1600 से 1700 की ओपीडी, पर्ची काउंटर महज दो
जोनल अस्पताल मंडी में प्रतिदिन 1600 से 1700 की ओपीडी वाले जोनल अस्पताल की व्यवस्था केवल दो पर्ची कांउटरों के सहारे ही चल रही है। मरीजों विशेषकर बुजुर्गों की दिक्कत समझी जा सकती है।

परिचितों की पहले बनाई जा रहीं पर्चियां
निर्मला का कहना है कि वह सुबह से अस्पताल में आई हैं लेकिन उनकी पर्ची नहीं बन पाई है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में स्टाफ द्वारा अपने परिचितों की पर्चियां पहले बनाई जा रही है, जिसमें आम आदमी पिसता जा रहा है। उन्होंने कहा कि वो लोग जिनकी जान पहचान नहीं है, उनको पहले तो लाइनों में लगकर पर्ची बनवानी पड़ती है। उसके बार ओपीडी के बाहर बारी का इंतजार करना पड़ता है।


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