अगले साल मंदी की चपेट में आएगी दुनिया! वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में आशंका
सिर्फ ब्याज दरों में बढ़ोतरी से नहीं चलेगा काम
ब्यूरो — नई दिल्ली
अगर हालात में सुधार नहीं हुए तो साल 2023 में दुनिया मंदी की चपेट में आ सकती है। यह आशंका वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में जताई गई है। रिपोर्ट में मुद्रास्फीति को कम करने के लिए उत्पादन को बढ़ावा देने और आपूर्ति बाधाओं को दूर करने पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर में केंद्रीय बैंकों द्वारा वैश्विक ब्याज दर में वृद्धि चार फीसदी तक पहुंच सकती है, जो कि 2021 से दोगुनी है। अमरीका से लेकर यूरोप और भारत तक के केंद्रीय बैंक ब्याज दर में बढ़ोतरी कर रहे हैं। इसका मकसद मुद्रास्फीति को कंट्रोल करना है। हालांकि, यह निवेश को कम करता है और विकास की रफ्तार पर भी असर पड़ता है। विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मलपास ने कहा कि वैश्विक विकास की रफ्तार सुस्त हो रही है।
अभी आगे और सुस्ती की आशंका है। मेरी गहरी चिंता यह है कि ये रुझान लंबे समय तक बने रह सकते हैं, जो उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए विनाशकारी हैं। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल ब्याज दरें बढ़ाना आपूर्ति बाधाओं के कारण उत्पन्न मुद्रास्फीति को कंट्रोल करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है। दुनिया भर के देशों को वस्तुओं की उपलब्धता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने अगस्त में रेपो रेट पर 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी। इसी के साथ अब रेपो रेट 5.40 फीसदी पर आ गया है। आरबीआई आगामी मौद्रिक नीति की बैठक में भी रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकता है।
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